जब जागो तब सबेरा है
जब जागो तब सबेरा है
क्या हुआ उम्मीदों ने साथ छोड़ दिया है
खुशियों ने भी मुख मोड़ लिया है
हम तो दर्द झेलते आ रहे है जन्म से
पर बीत गई सो बात गई
जब जागो तब सबेरा है।
वक्त ने कुछ ऐसे अजमाया है हमें
जिंदगी हुई सूनी और सफर भी हुआ तन्हा
बीसवीं सदी गुजर गई और तेइसवी सदी आई
मौन रहकर आज जुल्म सहना मजबूरी बन गई है
पर बात गई सो बात गई
जब जागो तब सबेरा है।
उजालों की तलाश में
अंधेरी राहें भी मिलेगी
खुलकर जीना भी जरूरी है
सब कुछ देख रहा है,दुनिया को गढ़ने वाला
बीत गई सो बात गई
जब जागो तब सबेरा है।
चल उठ ढूंढ तू अपना वजूद
सम्मान का है तू भी अधिकारी
जीवन की हर कठिनाइयों का हल संभव है
हर दिन नया सबेरा है
बीत गई सो बात गई
जब जागो तब सबेरा है।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
07-Nov-2023 10:19 PM
👌👏
Reply
Varsha_Upadhyay
05-Nov-2023 10:03 PM
Nice 👍🏼
Reply